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लेखनी प्रतियोगिता -23-Apr-2022 मन के तारों की शक्ति

मन के तारों की शक्ति
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मन के भावों की स्वीकार्यता से
भागना आसान नहीं होता,
आपके चाहने न चाहने से
पीछा छुड़ाना और भी मुश्किल होता।
हम चाहते भी नहीं पर 
उन भावों में उलझकर रह जाते हैं
कुछ अच्छे तो कुछ तीखे अनुभव भी पाते हैं
कभी हंसते मुस्कुराते हैं
तो कभी रोने, सिसकने
कभी घुक घुटकर जीने को लाचार हो जाते।
कहते हैं मन के तार सूदूर से भी जुड़ जाते हैं
हमारे न चाहते हुए भी 
बहुत दूर होकर भी
किसी के मन के भाव, सुख दुख, पीड़ा का
अनुभव करने से न बच पाते,
बड़ी से बड़ी दुविधा में रहते
पिंड छुड़ाना चाहकर भी न छुड़ा पाते।
कोई तो बताए हमको यारों
मन के तार इतनी शक्ति आखिर कहां से पाते?
जो हमको, आपको इतना बेबस कर जाते। 

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उत्तर प्रदेश
८११५२८५९२१
© मौलिक, स्वरचित
२३.०४.२०२

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7 Comments

Shnaya

25-Apr-2022 04:42 PM

Very nice 👍🏼

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Zainab Irfan

25-Apr-2022 03:17 PM

बहुत ही सुन्दर

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Punam verma

24-Apr-2022 07:33 AM

Very nice sir

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